केसरिया पगड़ी में मोहन यादव ने गुरुनानक जयंती पर गुरुद्वारा में दी श्रद्धांजलि, सिक्खों के बलिदान को किया याद

केसरिया पगड़ी में मोहन यादव ने गुरुनानक जयंती पर गुरुद्वारा में दी श्रद्धांजलि, सिक्खों के बलिदान को किया याद

भोपाल
 गुरुनानक देव का 556वां प्रकाशपर्व राजधानी भोपाल में धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर हमीदिया रोड स्थित गुरुद्वारे में मत्था टेकने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने देश और प्रदेश वासियों को प्रकाश पर्व की शुभाकामनांए दी. साथ ही गुरु तेग बहादुर की 350वीं जन्मजयंती को भी धूमधाम से मनाने का आश्वासन दिया. सीएम ने कहा कि गुरु तेग बहादुर की जन्म जयंती पिछली बार भी प्रदेश में धूमधाम से मनाई गई थी, इस बार भी सरकार इसके लिए कटिबद्ध है.

गुरुनानक ने अपने जीवन से किया लोगों को प्रेरित

हमीदिया रोड स्थित गुरुद्वारे पहुंचकर सबसे पहले मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मत्था टेका. इसके बाद कुछ देर गुरुद्वारे में बैठकर कीर्तन सुना. इसके बाद वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि "हम लोग कार्तिक पूर्णिमा को ऐसे गुरुद्वारे में मना रहे हैं, जो साक्षात ईश्वर के समान थे. उन्होंने कहा कि गुरुनानक एक ऐसा विराट व्यक्तित्व थे, जिसने मानवता को सेवा, कीर्तन और शिक्षा के माध्यम से ने केवल साहस दिया बल्कि अपने जीवन के जरिए उन्होंने सीख भी दी."

अरब देशों में जाकर भी किया एक ओंकार का प्रसार

सीएम मोहन यादव ने कहा कि "संत गुरुनानक पूरे देश में पदयात्रा करते थे. वर्तमान देश ही नहीं, उस समय के अफगानिस्तान और अरब देशों में भी जाकर उन्होंने निडरता के साथ एक ओंकार सतनाम वाहे गुरु का मंत्र दिया. उस दौर में अरब देशों में ऐसा करना कोई सोच भी नहीं सकता था, लेकिन गुरुनानक ने वहां जाकर भी प्रचार किए कि ईश्वर एक है. गुरुनानक का अरब और अफगानिस्तान में जो भाव था, वह बाबर के सामने भी रहा.

देश को बचाने के लिए सिक्ख समाज ने किया बलिदान

उन्होंने कहा कि संत गुरुनानक ने लोगों को बताया कि नाम जप से अयात्मिक और मानसिक उर्जा मिलती है. इसीलिए उन्होंने नाम जप और संकीर्तन के लिए लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने सामाजिक समरसता के लिए सब लोगों को एक पंगत में लेकर आए. उनका मानना था कि जातिगत विभिन्नताओं से समाज कमजोर होता है. इन समाज में दूरियां बढ़ती हैं.

अन्याय करने वालों के साथ दृड़ता से खड़े रहने का जो पाठ गुरुनानक ने सिखाया, उसे गुरु तेग बहादुर से लेक गुरु गोविंद सिंह तक ने मजबूती से निभाया. चाहे अफगानी रहे हो या मुगल या अंग्रेज, सिक्ख समाज ने देश को बचाने के लिए हमेशा बलिदान किया."

हमीदिया रोड में 15 हजार लोगों का लंगर

गुरुनानक के 556वें प्रकाश पर्व के अवसर पर अरेरा कॉलोनी, हमीदिया रोड और पिपलानी स्थित गुरुद्वारों को रंगबिरंगी रोशनी और फूलों से सजाया गया है. वहीं हमीदिया रोड गुरुद्वारे पर 15 हजार लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई है. यहां 35 से 40 क्विंटल खाद्य सामग्री का उपयोग इस विशाल लंगर में किया जाएगा. शहर के 5 से 6 गुरुद्वारों से रोटियां व अन्य सामग्री भी बनाकर हमीदिया रोड गुरुद्वारे में लंगर के लिए भेजी जाएगी.

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