इंदौर में सीजन की सबसे ठंडी रात, पारा 12.1°C; भोपाल और ग्वालियर में भी गिरावट, मध्यप्रदेश में ठंड बढ़ेगी

इंदौर में सीजन की सबसे ठंडी रात, पारा 12.1°C; भोपाल और ग्वालियर में भी गिरावट, मध्यप्रदेश में ठंड बढ़ेगी

भोपाल 
मध्यप्रदेश में पिछले कई दिनों से लगातार चल रही बारिश, तेज़ हवाओं और गरज-चमक का दौर अब आखिरकार थमने जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में अगले पांच दिनों तक आसमान साफ रहेगा और फिलहाल कहीं भी वर्षा की संभावना नहीं है। हालांकि, अब तापमान में गिरावट का सिलसिला शुरू होगा और ठंड धीरे-धीरे अपने पैर पसारने लगेगी। मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा का कहना है कि आने वाले दिनों में रात के तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक की कमी दर्ज की जा सकती है। सबसे पहले इसका असर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में महसूस होगा, जहां उत्तर दिशा से आने वाली ठंडी हवाएँ तापमान को तेजी से नीचे लाएंगी। मध्यप्रदेश में बारिश का दौर थामने के बाद ठंड का असर बढ़ने लगा है। बुधवार रात कई शहरों में पारा काफी लुढ़क गया। इंदौर में सीजन की सबसे ठंडी रात रही। यहां पर न्यूनतम तापमान 12.1 डिग्री दर्ज किया गया। राजगढ़ सबसे ठंडा रहा। यहां पारा 11 डिग्री रहा। मौसम विभाग के अनुसार, इस सीजन में पहली पार तापमान में इतनी गिरावट देखने को मिली है। सभी शहरों में तापमान 20 डिग्री से कम ही रहा। पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू होना भी इसकी एक वजह है।

पहाड़ों की बर्फबारी का असर अब एमपी पर भी दिखेगा

उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में अब बर्फबारी शुरू हो चुकी है, और इसका असर धीरे-धीरे मध्यप्रदेश तक पहुंचने वाला है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 48 घंटों के भीतर इसका प्रभाव प्रदेश के उत्तरी जिलों में दिखाई देगा। ग्वालियर, चंबल, नीमच, मंदसौर, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, गुना, राजगढ़, आगर-मालवा और शाजापुर जैसे जिलों में रात के तापमान में तेज़ी से गिरावट आने की संभावना है। इन इलाकों में सुबह-शाम की ठंड पहले बढ़ेगी, जबकि मध्य और दक्षिणी हिस्सों में यह प्रभाव कुछ दिनों बाद दिखाई देगा।

नमी और बादलों ने रोकी थी ठंड की रफ्तार

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ओर से आई नमी के कारण राज्य के आसमान पर लगातार बादल छाए रहे। यही वजह थी कि ठंडी हवाएं प्रदेश में प्रवेश नहीं कर पाईं और तापमान में अपेक्षित गिरावट नहीं हो सकी। इस दौरान हरियाणा के समीप बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन ने उत्तरी हवाओं को रोक दिया था। अब यह सिस्टम अगले 24 घंटों में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) में शामिल हो जाएगा, जिससे ठंडी हवाओं का मार्ग फिर से खुल जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में रात के तापमान में तेज गिरावट दर्ज की जाएगी।

नमी की वजह से नहीं लुढ़का पारा मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बने सिस्टम के कारण बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से नमी आई। जिससे बादल छाए रहे। इस वजह से दिन का तापमान नहीं बढ़ सका।

वर्तमान में हरियाणा के पास एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात) बना हुआ है। इस वजह से यह प्रदेश में ठंडी हवा आने से रोक रहा है।

अगले 24 में यह चक्रवात उत्तर भारत में सक्रिय वेस्टर्न डिस्टरबेंस में समाहित हो जाएगा। इसके बाद ही हमारे यहां ठंड का असर शुरू होगा।

रात में 20 डिग्री के नीचे पारा बता दें कि पिछले 24 घंटे के दौरान श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, अशोकनगर, गुना, बैतूल, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर और छिंदवाड़ा जिलों में हल्की बारिश हुई। इसके साथ दिन के तापमान में भी गिरावट हुई।

नरसिंहपुर में एक ही रात में पारा 5.4 डिग्री लुढ़ककर 17.2 डिग्री पर आ गया। छिंदवाड़ा-मंडला में 17.6 डिग्री, नौगांव में 15 डिग्री, रीवा में 15.8 डिग्री, सिवनी में 17.4 डिग्री, टीकमगढ़ में 16.8 डिग्री, उमरिया में 17.3 डिग्री, मलाजखंड में 16.7 डिग्री, भोपाल में 18.8 डिग्री, इंदौर में 18.2 डिग्री, उज्जैन में 18.3 डिग्री, ग्वालियर में 20.1 डिग्री, खंडवा-शिवपुरी में 17 डिग्री, खरगोन में 17.8 डिग्री, पचमढ़ी में 17.2 डिग्री रहा।

इधर, बुधवार को दिन में पचमढ़ी सबसे ठंडा रहा। यहां अधिकतम तापमान 25.2 डिग्री रहा। रायसेन में 27 डिग्री, बैतूल में 26.7 डिग्री, श्योपुर में 29.6 डिग्री, छिंदवाड़ा-दमोह में 29.5 डिग्री, नरसिंहपुर में 29.6 डिग्री, सिवनी में 28 डिग्री, सीधी में 28.8 डिग्री, उमरिया में 29.9 डिग्री और मलाजखंड में पारा 26.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

अक्टूबर में 121% बारिश ज्यादा, नवंबर में तेज ठंड का ट्रेंड प्रदेश में नवंबर महीने में पिछले 10 साल से ठंड के साथ बारिश का ट्रेंड भी है। अबकी बार भी ऐसा ही मौसम रहेगा। वहीं, बारिश के लिहाज से अक्टूबर का महीना उम्मीदों पर खरा उतरा है। औसत 2.8 इंच पानी गिर गया, जो सामान्य 1.3 इंच से 121% ज्यादा है।

वहीं, भोपाल में दिन ठंडे रहे। 30 अक्टूबर को दिन का तापमान 24 डिग्री रहा। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 25 साल में अक्टूबर का यह सबसे ठंडा दिन रहा। उज्जैन, छतरपुर, नरसिंहपुर समेत कई शहरों में पारा 24 डिग्री के नीचे ही रहा।

इंदौर में 10 साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा बारिश अक्टूबर में बारिश के रिकॉर्ड की बात करें तो दो साल बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा पानी गिरा। भोपाल में 2.8 इंच, जबलपुर में 3.3 इंच, ग्वालियर में 4.2 इंच और उज्जैन में 2.1 इंच बारिश दर्ज की गई।

साल 2022 में इससे ज्यादा बारिश हुई थी। वहीं, इंदौर में 3.4 इंच पानी गिरा। यहां 10 साल में दूसरी बार अक्टूबर में इतनी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।

ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाले जिले में श्योपुर नंबर-1 पर है। यहां 6.52 इंच, झाबुआ में 5.52 इंच, सिंगरौली में 5.35 इंच, सीधी में 5 इंच, उमरिया में 4.14 इंच, अनूपपुर में 4.82 इंच, बड़वानी में 4.21 इंच और भिंड में 4.36 इंच बारिश हो गई।

प्रदेश का खंडवा ही एक मात्र ऐसा जिला रहा, जहां सामान्य से कम पानी गिरा। बाकी 53 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

कई जिलों में पारा 20 डिग्री से नीचे, पचमढ़ी सबसे ठंडा

बीते 24 घंटों में प्रदेश के कई जिलों में हल्की बारिश देखने को मिली, जिससे न्यूनतम तापमान में गिरावट आई है। श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, गुना, सागर, बैतूल, छतरपुर और छिंदवाड़ा में हल्की बौछारें पड़ीं। नरसिंहपुर में रात का तापमान एक ही दिन में 5.4 डिग्री गिर गया और 17.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। राजधानी भोपाल में न्यूनतम तापमान 18.8 डिग्री, इंदौर में 18.2 डिग्री और ग्वालियर में 20.1 डिग्री रहा। दिन के समय पचमढ़ी सबसे ठंडा स्थान रहा, जहाँ अधिकतम तापमान मात्र 25.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे साफ है कि धीरे-धीरे राज्य में सर्दी दस्तक दे चुकी है।

अक्टूबर में हुई रिकॉर्ड बारिश, नवंबर में ठंड के साथ लौट सकती है बौछारें

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर महीने में औसतन 2.8 इंच बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 121% अधिक है। यह बीते कई वर्षों में सबसे अधिक वर्षा वाला अक्टूबर साबित हुआ। दिलचस्प बात यह है कि 30 अक्टूबर को भोपाल का अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस रहा जो पिछले 25 वर्षों में अक्टूबर का सबसे ठंडा दिन दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि नवंबर में भी बीच-बीच में हल्की बारिश की संभावना बनी रहेगी, लेकिन इसके साथ ठंड का असर और तेज़ होता जाएगा। आने वाले सप्ताह में प्रदेश की सुबहें ठंडी और शामें सुहानी रहने की उम्मीद है।

इस बार मानसून भी बेहतर रहा इस बार प्रदेश में मानसून की भी 'हैप्पी एंडिंग' रही। भोपाल, ग्वालियर समेत 30 जिले ऐसे रहे, जहां 'बहुत ज्यादा' बारिश दर्ज की गई। ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला गुना है। जहां पूरे सीजन 65.7 इंच पानी गिर गया, जबकि श्योपुर में 216.3% बारिश हुई।

एक्सपर्ट की माने तो अच्छी बारिश होने से न सिर्फ पेयजल बल्कि सिंचाई के लिए भी भरपूर पानी है। भू-जल स्तर भी बढ़ा रहेगा। हालांकि, शाजापुर ऐसा जिला रहा, जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) ही बारिश हुई है।

अब जानिए नवंबर में कैसा रहेगा मौसम मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड का असर बढ़ेगा। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में, जहां उत्तरी हवाएं सीधी आती हैं, वहां पारा लुढ़केगा। ग्वालियर में 56 साल पहले नवंबर में रात का टेम्प्रेचर रिकॉर्ड 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।

उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम पारा रिकॉर्ड 2.3 डिग्री तक जा चुका है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में इस महीने बारिश का ट्रेंड है। इस बार नवंबर के पहले सप्ताह में ही बारिश होने के आसार है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सिस्टम एक्टिव होने से भी बारिश हो सकती है।

 

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