सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समय आ गया है कि लोगों को एहसास दिलाया जाए कि हम हैं।
सीजेआई ने यह बात जिला अदालतों के संदर्भ में कही। उन्होंने कहा कि जिला अदालत वह जगह है, जहां एक आम आदमी न्याय की तलाश में सबसे पहले पहुंचता है।
ऐसे में वहां पर उसको सही तरीके से न्याय देकर हम समाज को एक सकारात्मक संदेश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार अलग-अलग वजहों से एक आम आदमी न्याय के लिए ऊपरी अदालतों तक नहीं पहुंच पाता है।
ऐसे में पहले पायदान पर ही उसको बेहतर उपाय मिलने चाहिए। सीजेआई ‘जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे। इ
स सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस दौरान उन्होंने न्यायपालिका में बढ़ती युवा शक्ति और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर भी बात की।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड पर उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि कई बार नागरिक अपने केस लेकर जिला अदालतों से आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
उन्होंने कहा कि इसकी कई वजहें हो सकती हैं। कई नागरिक मुकदमे और वकील का खर्च उठाने में असमर्थ हो सकते हैं। वहीं, कुछ में कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी हो सकती है।
कुछ ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां अदालतों तक पहुंचने में मुश्किलें हो सकती हैं। सीजेआई ने कहा कि काम की गुणवत्ता और वे स्थितियां जिनमें न्यायपालिका नागरिकों को न्याय प्रदान करती है, यह निर्धारित करती है कि उन्हें न्यायिक प्रणाली पर भरोसा है या नहीं।
इसलिए जिला न्यायपालिका से बड़ी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया जाता है और इसे ‘न्यायपालिका की रीढ़’ बताया गया है। रीढ़ तंत्रिका तंत्र का अहम अंग है।
सीजेआई ने कहा कि आज हमारे पास युवा न्यायपालिका है जो टेक्नोलॉजी को जानने और समझने वाली है। यह युवा भारत की बदलते स्वरूप को दिखाते हैं। न्यायपालिका में आना उनका अंतिम नहीं, बल्कि पहला विकल्प है।
सीजेआई ने यह भी कहा कि ई-कोर्ट प्रोजेक्ट द्वारा आज 3,500 अदालत परिसरों और 22,000 से अधिक अदालत कक्षों का कंप्यूटराइजेशन हो चुका है।
उन्होंने कहा कि जिला अदालत परिसरों में 970 ई-सेवा केंद्र पूरी तरह से काम कर रहे हैं, जबकि उच्च न्यायालय परिसर में 27 ई-सेवा केंद्र हैं।
उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने रोजाना के मामलों में टेक्नोलॉजी का यूज करने में अहम भूमिका निभाई। देश में जिला अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये 2.3 करोड़ मुकदमों पर सुनवाई की।
साल 2023-24 में अदालती रिकॉर्ड के 46.48 करोड़ पेजों को डिजिटिलाइज किया गया।
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